BA Semester-2 Raksha Evam Stratejic Studies - Hindi book by - Saral Prshnottar Group - बीए सेमेस्टर-2 रक्षा एवं स्त्रातजिक अध्ययन - सरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-2 रक्षा एवं स्त्रातजिक अध्ययन

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :160
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2722
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-2 रक्षा एवं स्त्रातजिक अध्ययन - सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- भारतीय नभ शक्ति की विशेषताओं तथा कार्यों का वर्णन कीजिए।

सम्बन्धित लघु उत्तरीय प्रश्न
1. भारतीय वायुसेना की विशेषतायें बताइए।
2. वायुसेना के कार्य एवं सामरिक प्रयोग बताइए।

उत्तर -

भारतीय वायु सेना
(Indian Air Force)

युद्ध क्षेत्र में नभ सेना का प्रादुर्भाव 20वीं शताब्दी में हुआ। अमेरिका के राइट बन्धुओं (Wright Brothers) ने सन् 1906 में उड़ते हुए गुब्बारों तथा विमानों का आविष्कार करके सैन्य इतिहास में क्रान्तिकारी परिवर्तन उत्पन्न कर दिये। वर्तमान भारतीय नभ सेना का जन्म स्थल तथा निर्माण ब्रिटेन की नभ सेना से हुआ है। 1 अप्रैल सन् 1932 में कराची के निकट मोरीपुर हवाई अड्डे पर भारत की नभ सेना की नींव रखी गई थी। भारतीय वायु सेना ने 1965 तथा 1971 के भारत-पाक युद्ध में अपने भरपूर जौहर दिखाये हैं।

 वायुसेना के अविष्कार और सामरिक प्रयोग ने युद्ध को त्रि-दिशात्मक ही नहीं बनाया बल्कि उसे समग्र युद्ध (Total War) का रूप दे दिया है। वायुसेना के निर्माण से देश की सीमाओं पर ही नहीं वरन् देश के भीतर भी भय उत्पन्न हो गया है।

वायु सेना की विशेषतायें - वायु सेना में विभिन्न प्रकार के वायुयान होते हैं और प्रत्येक की अपनी एक अलग विशेषता होती है, परन्तु यदि हम समस्त वायुसेना की विशेषताओं पर दृष्टि डालें तो हमें वायु सेना में निम्नलिखित विशेषताएँ ज्ञात होती हैं।

(i) विस्तृत कार्यक्षेत्र - नभ शक्ति का कार्यक्षेत्र आकाश है अतः भू-आकृतियाँ तथा नदी, समुद्र, पहाड़ आदि बाधक नहीं हैं। फलतः नभ सेना का कार्यक्षेत्र थल तथा जल सेनाओं की अपेक्षा अधिक विशाल है।

(ii) देखभाल तथा निरीक्षण (Rele and Observation) - विमान ऊंचाई पर उड़ने के कारण संपूर्ण भूमि पर चारों ओर भली-भाँति देख सकते हैं। भूमि पर शत्रु की स्थिति तथा गतिविधियों का पता इन टोही विमानों के द्वारा किया जाता है। वायुयान में लगे कैमरों से शत्रु की गतिविधियों तथा ठिकानों का पता शीघ्रता तथा आसानी से लग जाता है।

(iii) गतिशीलता : वायुयान आकाश में उड़ते हैं तथा इनकी गति भी अत्यधिक होती है। आकाश के कारण इनके मार्ग में रुकावट या बाधा डालने वाले तत्व नहीं होते इसीलिए ये आसानी से अत्याधिक गति से उड़ान भर के एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुंच सकते हैं।

(iv) लचीलापन (Flexibility) : गतिशीलता तथा अथाह मारक क्षमता होने के कारण वायुयान आदेशानुसार फौरन ही अपना लक्ष्य बदलकर एक स्थान से दूसरे स्थान पर कार्यवाही आरम्भ कर देते हैं। ऐसा करने के लिए उन्हें अपने अड्डों को बदलने की आवश्यकता नहीं पड़ती है। केवल संचार माध्यम से ही उन्हें आदेश प्राप्त हो जाता है।

(v) भेदन क्षमता (Pentrating Power ) : नभ-सेना में भेदन क्षमता का पर्याप्त विकास हुआ है। वायुयान में अनेकों प्रकार से संहारक शस्त्रों का भंडार रहता है। फलतः कृत्रिम बन्धनों को तोड़कर शत्रु के किसी भी क्षेत्र पर प्रहार करने में तथा आक्रमण करने में यह सेना समर्थ है।

(vi) बचाव (Safety ) : वायुयान अत्यधिक गतिशील होने के कारण तथा स्वच्छ आकाश में विचरण करने के कारण शत्रु के प्रहारों से आसानी से बच सकते हैं। शत्रु के फायर से बचने के लिए यह दायें-बायें, ऊपर-नीचे होकर शत्रु की मारक क्षेत्र से आसानी से बच निकलते हैं।

(vii) संकेन्द्रण (Concentration ) : वायुसेना अपने कार्यक्षेत्र की लम्बी दूरी के कारण विभिन्न दिशाओं से आकर किसी एक लक्ष्य पर आक्रमण की कार्यवाही कर विभिन्न दिशाओं को वापस लौट सकती है। विभिन्न लक्ष्यों पर आक्रमण करके सभी वायुयान अपने अड्डे पर वापस इकट्ठा हो सकते हैं।

2. वायुयान की परिसीमाएं:

1. नभ सेना के कार्यों पर मौसम का अत्याधिक प्रभाव पड़ता है।

2. नभ सेना की क्षति पूर्ति करना कठिन होता है।

3. सीमित पेट्रोल होने के कारण वायुयानों की मार की दूरी सीमित हो जाती है।

4. शत्रु की विमान भेदी कार्यवाही से विमानों को बहुत हानि होने की आशंका रहती है।

5. वायुयान में आकाश में ही कोई तकनीकी खराबी आ जाने से कड़ी हानि होने का खतरा रहता

6. वायुसेना को अक्सर दूसरे सेनांगों पर निर्भर रहना पड़ता है।

3. वायु सेना के कार्य एवं सामरिक प्रयोग वायु सेना के निम्नलिखित कार्य हैं:-

(i) नभ प्रभुत्व (Air Superiority) : नभ प्रभुत्व स्थापित करने से तात्पर्य आकाश में स्वतंत्र रूप से अपनी शक्ति का प्रदर्शन करके विचरण करना। नभ प्रभुत्व दो प्रकार के होते हैं। रक्षात्मक नभ प्रभुत्व

(ii) आक्रात्मक नभ प्रभुत्व। रक्षात्मक नभ प्रमुख से तात्पर्य आकाश में शत्रु के विमानों को अपनी नभ सीमा में न घुसने देना तथा वायुमार्गों में शत्रु द्वारा डाली गयी बाधाओं को दूर करना। आक्रमणात्मक कार्यवाही के दौरान वायु सेना का कार्य स्वतंत्र रूप से आकाश में घूम-घूम कर शत्रु के वायुयानों को मार गिराना नभ सेना का कार्य है। इस तरह वायु क्षेत्र में नभ सेना का प्रभुत्व स्थापित हो जाता है और शत्रु के लिए संकट पैदा हो जाता है। कोई भी शक्तिशाली आक्रामक योजना नम् प्रभुत्व स्थापित किये बिना सफलता नहीं पा सकती है। इसलिए नभ सेना का प्रमुख कार्य आकाश में नभ प्रभुत्व स्थापित करना है।

(ii) देखभाल व खोजबीन करने का कार्य - वायुयान अपने हवाई क्षेत्र तथा भूमि की देखभाल करते हैं। शत्रु क्षेत्र की गतिविधियों पर नजर रखते हैं। युद्ध क्षेत्र की हवाई फोटो लेना भी इनका कार्य है। वायुयानों की मदद से शत्रु की योजनाओं व सामरिक योजनाओं की जानकारी जल्दी तथा आसानी से प्राप्त हो जाती है। शत्रु के क्षेत्र की छानबीन (Race) करना।

(iii) युद्धनीतिक बमबारी (Strategic Bombing): वायु सेना का प्रमुख कार्य युद्ध के दौरान शत्रु के युद्ध कौशलात्मक महत्व के साधनों तथा सैनिकों पर बमबारी करना है। शत्रु के यातायात के महत्वपूर्ण साधनों पर बमबारी करना समरतांत्रिक बमबारी के द्वारा शत्रु सेना विशेषकर कवचित सेनांग तथा तोपखाने का विनाश करना। शत्रु के वायुयानों के अड्डों पर बमबारी करके उनके वायु साधनों को पूर्णतया नष्ट करना वायुसेना के कार्य हैं।

(iv) अन्य सेनांगों की युद्ध में सहायता करना : युद्ध के दौरान थल सेना को वायु सेना भरपूर सहयोग देती है। अपनी बमबारी करके शत्रु के सिर को दबाये रखना ताकि स्थल सेना शत्रु के अत्याधिक निकट पहुंच कर उसे सुगमता से नष्ट कर सकें। नौसेना की सहायता करना शत्रु की पनडुब्बियों का पता लगाकर उन्हें अपनी नौ सेना के जहाजों तक पहुंचने से पूर्व ही नष्ट करना तथा सैनिकों की युद्ध सामग्री को तेजी से युद्ध क्षेत्र में पहुंचना अपनी स्थल सेना तथा नौसेना के पार्श्वों तथा अग्रभागों की देखभाल करना तथा उन्हें शत्रु से सुरक्षित रखना। इस तरह वायु सेना का कार्य अन्य सेनांगों को सामरिक सहयोग प्रदान करना है।

(v) नभ सम्भरण (Air Supply) : वायुयानों द्वारा आपूर्ति का कार्य भी किया जाता है। आवश्यकता पड़ने पर दूर समुद्र में पड़े अपने जंगी बेड़े को शीघ्रता से रसद अथवा हथियारों की आपूर्ति वायुसेना की मदद से की जाती है। थल सेना के युद्ध के समय दल सैनिकों को रसद तथा हथियार जमीन के द्वारा पहुंचाना अत्यन्त कठिन होता है। इसीलिए वायुयानों की मदद से थल सेना तक रसद तथा हथियारों की आपूर्ति शीघ्रता व आसानी से हो जाती है। वायुयान आवश्यक सामान को पेटियों में बांधकर भूमि पर गिरा देते हैं। जहाँ से अपने सैनिक उसे प्राप्त कर लेते हैं। इसलिए आपूर्ति हेतु वायु सेना की आवश्यकता अत्यधिक पड़ती है।

इन कार्यों के अतिरिक्त भी वायु सेना अनेकों कार्य करती है; जैसे - शान्तिकाल में आवश्यकतानुसार केन्द्रीय सरकार की सहायता करना तथा बाढ़ और भूकंप प्रभावित क्षेत्रों में रसद एवं दवाइयाँ गिराना और हेलीकॉप्टरों द्वारा वहाँ फंसे लोगों को सुरक्षित स्थान तक पहुंचाना। अपने उच्च कमाण्डरों को युद्ध क्षेत्र का निरीक्षण कराना भी वायु सेना का कार्य है। महत्वपूर्ण सूचनाओं के बंडलों को हेलीकाप्टर द्वारा संबंधित व्यक्ति तक पहुंचाना भी वायु सेना का कार्य है।

वायुसेना के कार्यों एवं विशेषताओं का अध्ययन करके यह कहना अनुचित नहीं होगा कि वायु सेना अन्य सेनांगों का शीर्ष है।

4. नभ सेना का संगठन : नियंत्रण तथा प्रशासन की सुगमता, प्रतिरक्षा सम्बन्धी कार्यों के सफल निर्वाह और प्रशिक्षण के लिए नभ सेना को निम्नलिखित पांच कमाण्डों में संगठित किया गया है -

1. पूर्वी एयर कमाण्ड..............  शिलांग
2. केन्द्रीय एयर कमाण्ड.........  इलाहाबाद
3. पश्चिमी एयर कमाण्ड .......  दिल्ली
4. प्रशिक्षण कमाण्ड ...............  बेंगलोर
5. अनुरक्षण कमाण्ड...............  नागपुर

प्रत्येक कमाण्ड का पद एयर मार्शल का होता है। इन कमाण्डों के अतिरिक्त एक प्रथम सक्रियात्मक समूह (No. 1. Operational Group) उधमपुर में स्थित है।

सबसे छोटी यूनिट एक फ्लाइट (Flight) होता है जिसमें 3 या 4 यान होते हैं। कई फ्लाइटों को मिलाकर एक स्क्वेड्रन बनता है। विभिन्न स्क्वेड्रन मिलाकर एक विंग (Wing) बनता है तथा कई विंग को मिलाकर एक ग्रुप (Group) का निर्माण होता है।

वर्तमानं भारतीय नभ सेना में 45 स्क्वेड्रन वैमानिक तथा विमान संगठित हैं।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- वैदिककालीन सैन्य पद्धति एवं युद्धकला का वर्णन कीजिए।
  2. प्रश्न- महाकाव्य एवं पुराणकालीन सैन्य पद्धति पर प्रकाश डालिए।
  3. प्रश्न- प्राचीन भारत में गुप्तचर व्यवस्था पर प्रकाश डालते हुए गुप्तचरों के प्रकार तथा कर्मों का उल्लेख कीजिए।
  4. प्रश्न- राजदूतों के कर्त्तव्यों का विशेष उल्लेख करते हुए प्राचीन भारत की युद्ध कूटनीति पर एक निबन्ध लिखिये।
  5. प्रश्न- समय और कालानुकूल कुरुक्षेत्र के युद्ध की अपेक्षा रामायण का युद्ध तुलनात्मक रूप से सीमित व स्थानीय था। कुरुक्षेत्र के युद्ध को तुलनात्मक रूप में सम्पूर्ण और 'असीमित' रूप देने में राजनैतिक तथा सैन्य धारणाओं ने क्या सहयोग दिया? समीक्षा कीजिए।
  6. प्रश्न- वैदिक कालीन "दस राजाओं के युद्ध" का वर्णन कीजिये।
  7. प्रश्न- वैदिकयुगीन दुर्गों के वर्गीकरण का वर्णन कीजिए।
  8. प्रश्न- वैदिककालीन सैन्य संगठन पर प्रकाश डालिये।
  9. प्रश्न- सैन्य पद्धति का क्या अर्थ है?
  10. प्रश्न- भारतीय सैन्य पद्धति के अध्ययन के स्रोत कौन-कौन से हैं?
  11. प्रश्न- महाकाव्यों के काल में युद्धों के वास्तविक कारण क्या होते थे?
  12. प्रश्न- पौराणिक काल के अष्टांग बलों के नाम लिखिये।
  13. प्रश्न- प्राचीन भारतीय इतिहास में कितने प्रकार के राजदूतों का उल्लेख है? मात्र नाम लिखिये।
  14. प्रश्न- धनुर्वेद के अनुसार आयुधों के वर्गीकरण पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  15. प्रश्न- महाकाव्यों के काल में युद्ध के कौन-कौन से नियम होते थे?
  16. प्रश्न- महाकाव्यकालीन युद्ध के प्रकार एवं नियमों की विवेचना कीजिए।
  17. प्रश्न- वैदिक काल के रण वाद्य यन्त्रों के बारे में लिखिये।
  18. प्रश्न- वैदिककालीन दस राजाओं के युद्ध का क्या परिणाम हुआ?
  19. प्रश्न- पौराणिक काल में युद्धों के क्या कारण थे?
  20. प्रश्न- वैदिक काल की रथ सेना का वर्णन कीजिए।
  21. प्रश्न- प्राचीन काल में अश्व सेना के कार्यों की व्याख्या कीजिए।
  22. प्रश्न- प्राचीन भारत में राजूदतों के कार्यों की व्याख्या कीजिए।
  23. प्रश्न- प्राचीन भारतीय सेना के युद्ध के नियमों को बताइये।
  24. प्रश्न- किन्हीं तीन प्रकार के प्राचीन हथियार एवं दो प्रकार के कवचों के नाम लिखिए।
  25. प्रश्न- धर्म युद्ध से आप क्या समझते हैं?
  26. प्रश्न- किलों पर विजय प्राप्त करने की विधियों पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  27. प्रश्न- झेलम के संग्राम (326 ई.पू.) में पोरस की पराजय के कारणों का वर्णन कीजिए।
  28. प्रश्न- झेलम के संग्राम से क्या सैन्य शिक्षाएं प्राप्त हुई?
  29. प्रश्न- झेलम के संग्राम के समय भारत की यौद्धिक स्थिति का उल्लेख कीजिए।
  30. प्रश्न- सिकन्दर की आक्रमण की योजना की समीक्षा करो।
  31. प्रश्न- पोरस तथा सिकन्दर की सैन्य शक्ति की तुलनात्मक विवरण प्रस्तुत कीजिए।
  32. प्रश्न- सिकन्दर तथा पुरू की सेना का युद्ध किस रूप में प्रारम्भ हुआ?
  33. प्रश्न- सिकन्दर तथा पोरस की सेना को कितनी क्षति उठानी पड़ी?
  34. प्रश्न- कौटिल्य के अर्थशास्त्र में वर्णित सैन्य पद्धति पर प्रकाश डालिए।
  35. प्रश्न- कौटिल्य के अनुसार मौर्यकालीन युद्ध कला एवं सैन्य संगठन की व्याख्या कीजिए।
  36. प्रश्न- कौटिल्य कौन था? उसकी पुस्तक का नाम लिखिए।
  37. प्रश्न- कौटिल्य द्वारा वर्णित सैन्य बलों की श्रेणियां लिखिये।
  38. प्रश्न- कौटिल्य ने अर्थशास्त्र में कितने प्रकार के राजदूतों का वर्णन किया है
  39. प्रश्न- कौटिल्य के सैन्य संगठन सम्बन्धी विचार प्रकट कीजिए।
  40. प्रश्न- कौटिल्य के व्यूहरचना (Tactical Formatic) सम्बन्धी विचारों का उल्लेख कीजिए।
  41. प्रश्न- कौटिल्य के द्वारा बताये गये दुगों का वर्णन कीजिए।
  42. प्रश्न- कौटिल्य ने युद्ध संचालन के लिए कौन-कौन से विभागों का वर्णन किया है?
  43. प्रश्न- कौटिल्य द्वारा बताये गये गुप्तचरों के रूप लिखिए।
  44. प्रश्न- राजपूत सैन्य पद्धति और युद्धकला पर एक संक्षिप्त निबन्ध लिखिए।
  45. प्रश्न- तराइन के द्वितीय संग्राम (1192 ई०) का वर्णन कीजिए। हमें इस युद्ध से क्या शिक्षाएँ मिलती हैं?
  46. प्रश्न- तराइन के दूसरे युद्ध ( 1192 ई०) में राजपूतों की पराजय तथा मुसलमानों की विजय के क्या कारण थे?
  47. प्रश्न- तराइन के युद्ध की सैन्य शिक्षाओं का वर्णन कीजिए।
  48. प्रश्न- राजपूतों के गुणों की व्याख्या कीजिए।
  49. प्रश्न- "राजपूतों में दुर्गुणों का भी अभाव न था।" इस कथन को साबित कीजिए।
  50. प्रश्न- दिल्ली सल्तनत के सैन्य संगठन और युद्ध कला पर प्रकाश डालिए। बलबन तथा अलाउद्दीन के सैन्य सुधारों की व्याख्या कीजिए।
  51. प्रश्न- दिल्ली सल्तनत के पतन के कारणों की समीक्षा कीजिए।
  52. प्रश्न- मुगल काल में अश्वारोही सैनिक कितने प्रकार के होते थे?
  53. प्रश्न- तोप और अश्वारोही सेना मुगलकालीन सेना के मुख्य सेनांग थे जिनके ऊपर उन्हें विजय प्राप्त करने का विश्वास था। विवेचना कीजिए।
  54. प्रश्न- आघात समरतंत्र (Shock Tactics) क्या है?
  55. प्रश्न- दिल्ली सल्तनत की सैन्य व्यवस्था तथा विस्तार पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
  56. प्रश्न- मुगल स्त्रातजी तथा सामरिकी का वर्णन कीजिए।
  57. प्रश्न- 1526 ई० में पानीपत के प्रथम संग्राम का सचित्र वर्णन कीजिए।
  58. प्रश्न- मुगलों की सेना में कितने प्रकार के सैनिक थे?
  59. प्रश्न- मुगल सैन्य पद्धति के पतन के क्या कारण थे?
  60. प्रश्न- सेना के वह मुख्य भाग क्या थे? जिन पर मुगलों की विजय आधारित थी? वर्णन कीजिए।
  61. प्रश्न- मुगल तोपखाने पर संक्षेप में लिखिये।
  62. प्रश्न- युद्ध क्षेत्र में मुगल सेना की रचना का वर्णन कीजिए।
  63. प्रश्न- मुगल काल में अश्वारोही सैनिक कितने प्रकार के होते थे?
  64. प्रश्न- तोप और अश्वारोही सेना मुगलकालीन सेना के मुख्य सेनांग थे जिनके ऊपर उन्हें विजय प्राप्त करने का विश्वास था। विवेचना कीजिए।
  65. प्रश्न- खानवा की लड़ाई (1527 ई०) का सचित्र वर्णन कीजिए।
  66. प्रश्न- राजपूतों की असफलता के क्या कारण थे?
  67. प्रश्न- राजपूतों की युद्ध कला पर संक्षेप में लिखिये।
  68. प्रश्न- राजपूतों का सैन्य संगठन कैसा था?
  69. प्रश्न- राजपूतों के गुणों की व्याख्या कीजिए।
  70. प्रश्न- राजपूतों में दुर्गणों का भी अभाव न था। इस कथन को साबित करिये।
  71. प्रश्न- तराइन के दूसरे युद्ध (1192 ई.) में राजपूतों की पराजय तथा मुसलमानों की विजय के क्या कारण थे?
  72. प्रश्न- 1527 ई० की खानवा की लड़ाई में राजपूतों और मुगलों की तुलनात्मक सैन्य शक्ति का वर्णन कीजिए।
  73. प्रश्न- 17वीं शताब्दी में मराठा शक्ति के उत्कर्ष के कारणों का उल्लेख कीजिए।
  74. प्रश्न- मराठा सैन्य पद्धति का वर्णन कीजिए।
  75. प्रश्न- मराठा सेनाओं की युद्ध कला एवं संगठन का विवरण दीजिए।
  76. प्रश्न- पानीपत के तीसरे संग्राम (1761 ई०) का सचित्र वर्णन कीजिए।
  77. प्रश्न- मराठा शक्ति के उदय पर प्रकाश डालिए।
  78. प्रश्न- शिवाजी के समय मराठों का सैन्य संगठन का उल्लेख कीजिए।
  79. प्रश्न- मराठों की युद्धकला पर प्रकाश डालिए।
  80. प्रश्न- मराठा सैनिकों के सैन्य गुणों को बताइये।
  81. प्रश्न- शिवाजी के सैन्य गुणों का उल्लेख कीजिए।
  82. प्रश्न- पानीपत के तृतीय युद्ध ( 1761 ई०) में मराठों और अफगानों की सैन्य शक्ति का उल्लेख कीजिए।
  83. प्रश्न- पानीपत के तृतीय युद्ध का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  84. प्रश्न- पानीपत के तीसरे युद्ध (1761 ई.) में मराठों की पराजय के प्रमुख कारण लिखिए।
  85. प्रश्न- सिक्ख सैन्य पद्धति, युद्ध कला तथा संगठन का पूर्ण विवरण दीजिए।
  86. प्रश्न- रणजीत सिंह के पूर्व सिक्ख सैन्य पद्धति की प्रमुख विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
  87. प्रश्न- "रणजीत सिंह भारत का गुस्तावस एडोल्फस माना जाता है। इस कथन के संदर्भ में रणजीत सिंह द्वारा सिक्ख सेना के किये गये विभिन्न सुधारों का वर्णन कीजिए।
  88. प्रश्न- सोबरांव के संग्राम (1864 ई०) का वर्णन करते हुए सिक्ख सेना की पराजय के कारण बताइये।
  89. प्रश्न- दल खालसा पर टिप्पणी लिखिए।
  90. प्रश्न- सिक्ख सैन्य संगठन पर प्रकाश डालिए।
  91. प्रश्न- गुरु गोविन्द सिंह ने सिक्खों को सैनिक क्षेत्र में क्या योगदान दिये?
  92. प्रश्न- सिक्खों के सेनांग का वर्णन कीजिए।
  93. प्रश्न- रणजीत सिंह से पूर्व सिक्खों के समरतंत्र पर प्रकाश डालिए।
  94. प्रश्न- खालसा युद्ध कला पर लिखिये।
  95. प्रश्न- महाराजा रणजीत सिंह के तोपखाने का वर्णन कीजिए।
  96. प्रश्न- रणजीत सिंह ने सेना में क्या-क्या सुधार किये?
  97. प्रश्न- सोबरांव के युद्ध (1846) में सिक्खों की मोर्चे बन्दी का वर्णन कीजिए।
  98. प्रश्न- सोबरांव के युद्ध में सिक्खों की पराजय के क्या कारण थे?
  99. प्रश्न- सिक्ख दल खालसा का युद्ध के समय क्या महत्व था?
  100. प्रश्न- ईस्ट इण्डिया कम्पनी की सैन्य पद्धति का वर्णन कीजिए तथा 1857 ई. के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के कारण बताइये।
  101. प्रश्न- सन् 1858 से लेकर सन् 1918 तक अंग्रेजों के अधीन भारतीय सेना के संगठन तथा विकास का वर्णन कीजिए।
  102. प्रश्न- स्वतंत्रता पश्चात् सशस्त्र सेनाओं के भारतीयकरण का वर्णन कीजिए।
  103. प्रश्न- सेना के भारतीयकरण में मोतीलाल नेहरु की रिपोर्ट का मूल्यांकन कीजिए।
  104. प्रश्न- 1939-45 के मध्य भारतीय सशस्त्र सेनाओं के विस्तार और भारतीयकरण का परिचय दीजिए।
  105. प्रश्न- भारतीय नभ शक्ति की विशेषताओं तथा कार्यों का वर्णन कीजिए।
  106. प्रश्न- भारतीय कवचयुक्त सेना पर एक संक्षिप्त निबन्ध लिखिए।
  107. प्रश्न- आधुनिक भारत में सैन्य संगठन की रचना एवं तत्वों का निरूपण कीजिए।
  108. प्रश्न- भारतीय थल सेना के अंगों का विस्तृत विवरण दीजिए।
  109. प्रश्न- भारत के लिए एक शक्तिशाली नौसेना क्यों आवश्यक है? नौसेना के युद्ध कालीन कार्य बताइए।
  110. प्रश्न- भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी के सैन्य संगठन पर प्रकाश डालिए।
  111. प्रश्न- लार्ड क्लाइव ने सेना में क्या-क्या सुधार किये?
  112. प्रश्न- लार्ड कार्नवालिस के सैन्य सुधारों पर प्रकाश डालिए।
  113. प्रश्न- कमाण्डर-इन-चीफ लार्ड रॉलिन्सन ने क्या सुधार किये?
  114. प्रश्न- कम्पनी सेना की स्थापना के क्या कारण थे?
  115. प्रश्न- प्रेसीडेन्सी सेनाओं के विकास का वर्णन कीजिये।
  116. प्रश्न- क्राउनकालीन भारतीय सेना पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  117. प्रश्न- ब्रिटिशकालीन भारतीय सेना को किन कारणों से राष्ट्रीय सेना नहीं कहा जा सकता?
  118. प्रश्न- भारतीय मिसाइल कार्यक्रम पर एक संक्षिप्त लेख लिखिए।
  119. प्रश्न- ब्रह्मोस क्या है?
  120. प्रश्न- भारत की नाभिकीय नीति का संक्षेप में विवेचन कीजिये।
  121. प्रश्न- भारत ने व्यापक परीक्षण प्रतिबन्ध सन्धि (CTBT) पर हस्ताक्षर क्यों नहीं किया है?
  122. प्रश्न- पोखरन-II परीक्षणों में भारत ने किस प्रकार के अस्त्रों की क्षमता का परिचय दिया था?
  123. प्रश्न- भारत की प्रतिरक्षात्मक तैयारी का मूल्याँकन कीजिए।
  124. प्रश्न- भारत की स्थल सेना के कमाण्ड्स के नाम व उनके मुख्यालय लिखिए।
  125. प्रश्न- भारतीय वायु सेना के कार्यों को स्पष्ट कीजिए।
  126. प्रश्न- भारतीय वायु सेना के संगठन पर प्रकाश डालिए।
  127. प्रश्न- भारतीय वायुसेना के कमाण्ड्स के नाम व उनके मुख्यालय लिखिए।
  128. प्रश्न- भारतीय वायुसेना पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
  129. प्रश्न- भारतीय स्थल सेना की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  130. प्रश्न- वायुसेना का महत्व समझाइये।
  131. प्रश्न- भारत की स्थल सेना के कमाण्ड्स के नाम व उनके मुख्यालय लिखिए।
  132. प्रश्न- प्रथम भारत-पाक युद्ध या कश्मीर युद्ध (1947-48) का वर्णन कीजिए।
  133. प्रश्न- स्वतन्त्रता के पश्चात् भारतीय सेनाओं द्वारा लड़े गये युद्धों का विवरण दीजिए।
  134. प्रश्न- 1948 के भारत-पाक युद्ध में स्थल सेना की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
  135. प्रश्न- कश्मीर विवाद 1948 में सैन्य कार्यवाही के कारणों का उल्लेख कीजिए।
  136. प्रश्न- 1948 का युद्ध भारत पर अचानक आक्रमण था। कैसे?
  137. प्रश्न- कश्मीर सैन्य कार्यवाही, 1948 के राजनैतिक परिणाम क्या थे? वर्णन कीजिए।
  138. प्रश्न- "भारतीय उपमहाद्वीप में शान्ति भारत-पाक सम्बन्धों पर अवलम्बित है।" इस कथन का आलोचनात्मक विश्लेषण कीजिए
  139. प्रश्न- भारत-पाक युद्ध 1948 में संयुक्त राष्ट्र की भूमिका।
  140. प्रश्न- 1962 में चीन के विरुद्ध भारत की सैनिक असफलताओं के कारण बताइए।
  141. प्रश्न- 1948 तथा 1962 के युद्धों में प्रयुक्त समरनीति का तुलनात्मक विश्लेषण कीजिए।
  142. प्रश्न- भारत के सन्दर्भ में तिब्बत की सुरक्षा पर प्रकाश डालिए।
  143. प्रश्न- भारत-चीन युद्ध 1962 में वायुसेना की भूमिका का वर्णन कीजिए।
  144. प्रश्न- भारत-चीन संघर्ष, 1962 ने भारतीय सेना की कमजोरियों को उजागर किया। समीक्षा कीजिए।
  145. प्रश्न- नदी बाहुल्य क्षेत्र में वायुसेना की महत्ता समझाइये।
  146. प्रश्न- "भारत में रक्षा अनुसंधान एवं रेखास संगठन की भूमिका' पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  147. प्रश्न- 1965 में भारत और पाकिस्तान के मध्य हुए युद्ध का विस्तृत वर्णन कीजिए।
  148. प्रश्न- 1965 के भारत-पाक संघर्ष के प्रमुख कारणों को आंकलित कीजिए।
  149. प्रश्न- 1965 के कच्छ के विवाद पर प्रकाश डालिए।
  150. प्रश्न- ताशकन्द समझौता क्यों हुआ? स्पष्ट कीजिये।
  151. प्रश्न- मरुस्थल के युद्ध की समस्याएँ लिखिए।
  152. प्रश्न- कच्छ के रन का रेखाचित्र बनाइये।
  153. प्रश्न- कच्छ के रण का महत्व समझाइये।
  154. प्रश्न- ताशकन्द समझौते के मुख्य प्रस्तावों पर प्रकाश डालिये।
  155. प्रश्न- कच्छ सैन्य अभियान पर प्रकाश डालिए।
  156. प्रश्न- भारत-पाक युद्ध 1971 का वर्णन कीजिए तथा युद्ध के कारणों पर प्रकाश डालिए।
  157. प्रश्न- 1971 के युद्ध में जैसोर तथा ढाका की घेराबन्दी अभियान तथा ढाका के आत्मसमर्पण का वर्णन कीजिए।
  158. प्रश्न- भारत के लिए कारगिल क्यों महत्वपूर्ण है?
  159. प्रश्न- कारगिल युद्ध 1999 की उत्पत्ति पर प्रकाश डालिए।
  160. प्रश्न- कारगिल युद्ध 1999 में भारतीय वायुसेना की आक्रामक कार्यवाही का मूल्याँकन कीजिए।
  161. प्रश्न- कारगिल संघर्ष 1999 के कारणों का वर्णन कीजिए।
  162. प्रश्न- कारगिल युद्ध के पीछे पाकिस्तान की मंशा पर प्रकाश डालिए।
  163. प्रश्न- कारगिल युद्ध (1999) के समय भारतीय सेनाओं के समक्ष आई समस्याओं का उल्लेख कीजिए।
  164. प्रश्न- कारगिल युद्ध 1999 में भारतीय वायुसेना की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
  165. 1 - वैदिक एवं महाकाव्यकालीन सैन्य व्यवस्था (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
  166. उत्तरमाला
  167. 2 - झेलम संग्राम - 326 ई. पू. (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
  168. उत्तरमाला
  169. 3- कौटिल्य का युद्ध दर्शन (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
  170. उत्तरमाला
  171. 4 - तुर्क एवं राजपूत सैन्य पद्धति : तराइन का युद्ध (1192 ईस्वी) (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
  172. उत्तरमाला
  173. 5- सैन्य संगठन एवं सल्तनत काल की सैन्य पद्धति (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
  174. उत्तरमाला
  175. 6 - मुगल सैन्य पद्धति : पानीपत का प्रथम संग्राम (1526 ईस्वी) (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
  176. उत्तरमाला
  177. 7- राजपूत सैन्य संगठन, शस्त्र प्रणाली एवं खानवा का संग्राम (1527 ईस्वी) (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
  178. उत्तरमाला
  179. 8- मराठा सैन्य पद्धति एवं पानीपत का तीसरा युद्ध (1761 ईस्वी) (वस्तुनिष्ठ प्रश्नऋ
  180. उत्तरमाला
  181. 9 - सिक्ख सैन्य प्रणाली एवं सोबरांव का युद्ध (1846 ईस्वी) (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
  182. उत्तरमाला
  183. 10 - ईस्ट इण्डिया कम्पनी की सैन्य पद्धति, 1858-1947 ईस्वी तक (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
  184. उत्तरमाला
  185. 11- प्रथम भारत पाक युद्ध (1947-48) (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
  186. उत्तरमाला
  187. 12 - भारत-चीन युद्ध 1962 (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
  188. उत्तरमाला
  189. 13 - भारत-पाकिस्तान युद्ध - 1985 (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
  190. उत्तरमाला
  191. 14- बांग्लादेश की स्वतन्त्रता - 1971 (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
  192. उत्तरमाला
  193. 15 - कारगिल संघर्ष - 1999 (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
  194. उत्तरमाला

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